Dropdown Menu

Dec 20, 2025

वार्ट्स या मस्से

 

वार्ट्स (मस्से): कारण, प्रकार, मनोवैज्ञानिक प्रभाव और होम्योपैथिक समाधान

त्वचा पर उभरी हुई छोटी-छोटी गांठें, जिन्हें आम बोलचाल में मस्से (Warts) कहा जाता है, केवल एक सौंदर्य समस्या नहीं हैं. ये व्यक्ति के आत्मविश्वास, सामाजिक व्यवहार और कई बार दैनिक गतिविधियों को भी प्रभावित कर सकते हैं. कुछ लोगों में मस्से बिना किसी परेशानी के होते हैं, जबकि कुछ के लिए ये दर्दनाक, जिद्दी और मानसिक तनाव का कारण बन जाते हैं.

आधुनिक जीवनशैली, कमजोर होती प्रतिरक्षा प्रणाली और बढ़ता तनाव—इन सबके कारण आज मस्सों की समस्या पहले से अधिक देखने को मिल रही है. मस्से को केवल “त्वचा की बीमारी” न मानकर, शरीर की अंदरूनी स्थिति के संकेत के रूप में समझने का प्रयास करते हैं.


मस्से क्या हैं? — वैज्ञानिक दृष्टिकोण

मस्से त्वचा या श्लेष्मा झिल्ली पर होने वाली साधारण (Benign) ग्रोथ हैं, जो मुख्य रूप से ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के संक्रमण से होती हैं। यह वायरस त्वचा की ऊपरी परत में प्रवेश कर वहाँ की कोशिकाओं को असामान्य रूप से बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि:

  • सभी HPV संक्रमण कैंसर नहीं बनाते

  • मस्से सामान्यतः जानलेवा नहीं होते

  • लेकिन ये संक्रामक और बार-बार होने वाले हो सकते हैं


मस्से कैसे फैलते हैं?

मस्सों का फैलाव अक्सर अनजाने में होता है:

  • त्वचा से त्वचा का सीधा संपर्क

  • संक्रमित सतहों को छूना

  • मस्सों को खुजलाना या काटना

  • शेविंग या नेल कटिंग के दौरान फैलाव

  • सार्वजनिक स्थानों में नंगे पैर चलना

एक ही व्यक्ति के शरीर के अलग-अलग हिस्सों में भी मस्से फैल सकते हैं, जिसे Auto-inoculation कहा जाता है।


मस्सों के प्रकार – विस्तार से

1. सामान्य मस्से (Common Warts)

  • उंगलियाँ, हाथ, घुटने

  • खुरदरे, फूलगोभी जैसे

  • बच्चों और किशोरों में आम

2. तलवे के मस्से (Plantar Warts)

  • पैरों के तलवों पर

  • शरीर के भार से अंदर की ओर दब जाते हैं

  • चलते समय चुभन और दर्द

3. सपाट मस्से (Flat Warts)

  • चेहरे, गर्दन, हाथ

  • छोटे, चिकने, त्वचा के रंग जैसे

  • शेविंग से तेजी से फैलते हैं

4. फिलीफॉर्म मस्से

  • धागे जैसे लम्बे

  • आंखों, नाक, होंठों के पास

  • सौंदर्य की दृष्टि से परेशान करने वाले

5. जननांग मस्से

  • यौन संपर्क से फैलते हैं

  • अलग से चिकित्सा निगरानी आवश्यक

  • सामाजिक और मानसिक दबाव अधिक


मस्सों का मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव

मस्सों का असर केवल त्वचा तक सीमित नहीं रहता.

  • चेहरे के मस्से → आत्मविश्वास में कमी

  • हाथों के मस्से → सामाजिक झिझक

  • बच्चों में → मज़ाक, हीनभावना

  • लंबे समय तक रहने वाले मस्से → चिड़चिड़ापन, चिंता

कई रोगी मस्सों को छिपाने की कोशिश में मानसिक रूप से थक जाते हैं.


क्या मस्से अपने आप ठीक हो सकते हैं?

कुछ मामलों में—विशेषकर बच्चों में—मस्से अपने आप ठीक भी हो सकते हैं, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस पर नियंत्रण पा लेती है.
लेकिन:

  • सभी मस्से स्वयं ठीक नहीं होते

  • कई मस्से वर्षों तक बने रहते हैं

  • कुछ बार-बार उभरते हैं

यहीं से इलाज की आवश्यकता पैदा होती है.


पारंपरिक इलाज: उपयोग और सीमाएँ

आधुनिक चिकित्सा में मस्सों को हटाने के लिए कई तकनीकें उपलब्ध हैं:

  • रासायनिक पदार्थों द्वारा

  • फ्रीजिंग (Cryotherapy)

  • लेज़र

  • सर्जिकल हटाना

सीमाएँ:

  • दर्द और जलन

  • दाग या निशान

  • दोबारा उभरने की संभावना

  • बच्चों और संवेदनशील जगहों पर जोखिम

इन तरीकों में अक्सर मस्से हटते हैं, मस्सों के बार बार होने की प्रवृत्ति नहीं.


होम्योपैथी का दृष्टिकोण: लक्षण नहीं, कारण पर काम

होम्योपैथी मस्सों को एक स्थानीय त्वचा समस्या के बजाय, पूरे शरीर के असंतुलन का संकेत मानती है.

मूल सिद्धांत:

  • शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की भूमिका

  • व्यक्ति की शारीरिक + मानसिक प्रवृत्ति

  • मस्सों का प्रकार, रंग, स्थान, दर्द

  • रोगी की जीवनशैली और तनाव


 मस्सों के इलाज में होम्योपैथी की भूमिका 

1. जड़ से सुधार का प्रयास

होम्योपैथी शरीर की उस प्रवृत्ति पर काम करती है, जिससे मस्से बार-बार बनते हैं.

2. इम्युनिटी को संतुलित करना

लक्ष्य होता है:

  • शरीर को वायरस से लड़ने में सक्षम बनाना

  • बाहरी हस्तक्षेप पर निर्भरता कम करना

3. पुनरावृत्ति को रोकना

केवल मौजूदा मस्सों पर नहीं,
बल्कि भविष्य में नए मस्सों की संभावना पर भी काम.

4. सुरक्षित और आसान तरीका

  • बिना काटे, जलाए या फ्रीज किए

  • बिना दाग-धब्बे

  • बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए अनुकूल

5. मानसिक राहत

जैसे-जैसे समस्या सुधरती है:

  • आत्मविश्वास बढ़ता है

  • चिंता कम होती है


किन मामलों में होम्योपैथी विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है?

  • लंबे समय से चले आ रहे मस्से

  • बार-बार लौटने वाले मस्से

  • बच्चों के मस्से

  • चेहरे, गर्दन, जननांग क्षेत्र

  • सर्जरी से डर या एलर्जी वाले रोगी


रोगी के लिए उपयोगी सावधानियाँ

  • मस्सों को काटना/नोचना नहीं

  • निजी सामान साझा न करें

  • त्वचा को साफ और सूखा रखें

  • तनाव कम करें

  • संतुलित आहार लें


निष्कर्ष

मस्से देखने में छोटे होते हैं, लेकिन उनके पीछे वायरल संक्रमण, कमजोर प्रतिरक्षा और मानसिक तनाव का गहरा संबंध होता है. केवल उन्हें हटाना अक्सर अस्थायी समाधान साबित होता है.

होम्योपैथी मस्सों के इलाज में एक समग्र, सुरक्षित और दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रदान करती है, जहाँ लक्ष्य केवल मस्से गिराना नहीं, बल्कि शरीर को इस समस्या से मुक्त करने की क्षमता देना होता है.


डा रविन्द्र सिंह मान 

डा वंदना पाटनी

शिखर होम्योपैथिक क्लीनिक

हल्द्वानी, उत्तराखंड

मोबाईल 9897271337

No comments: