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Dec 25, 2025

टॉन्सिल्स के बढ़ने: कारण, लक्षण, खतरे और होम्योपैथी द्वारा उपचार

 

टॉन्सिल्स के बढ़ने और टॉन्सिल इन्फेक्शन (Tonsillitis): कारण, लक्षण, खतरे और होम्योपैथी द्वारा उपचार

Tonsils Enlarged in Hindi | Tonsillitis Treatment Without Surgery

गले में बार-बार दर्द, निगलने में तकलीफ, बुखार या बच्चों में मुँह खोलकर सोने की आदत—ये सभी टॉन्सिल्स के बढ़ने या टॉन्सिल इन्फेक्शन के प्रमुख संकेत हो सकते हैं। आज यह समस्या बच्चों से लेकर वयस्कों तक तेजी से बढ़ रही है।

  • टॉन्सिल्स क्या होते हैं

  • टॉन्सिल्स के बढ़ने के कारण

  • टॉन्सिल इन्फेक्शन के लक्षण

  • बच्चों में टॉन्सिल्स की समस्या

  • संभावित खतरे

  • सर्जरी से जुड़े भ्रम 

  • होम्योपैथी द्वारा टॉन्सिल्स के इलाज की भूमिका


टॉन्सिल्स क्या होते हैं? (What Are Tonsils)

टॉन्सिल्स गले के दोनों ओर स्थित लसीका ग्रंथियाँ (Lymphoid Tissues) होती हैं। ये शरीर की इम्यून सिस्टम का अहम हिस्सा हैं और मुंह या नाक से प्रवेश करने वाले वायरस और बैक्टीरिया से शरीर की रक्षा करती हैं।

टॉन्सिल्स के प्रकार

  • Palatine Tonsils – गले के दोनों ओर दिखाई देने वाले

  • Adenoids – नाक के पीछे (बच्चों में अधिक सक्रिय)

  • Lingual Tonsils – जीभ के पीछे


टॉन्सिल्स का बढ़ना क्या है? 

जब टॉन्सिल्स का आकार सामान्य से अधिक बढ़ जाता है और यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो इसे Enlarged Tonsils कहा जाता है।

शुरुआती अवस्था में यह शरीर की सुरक्षा प्रतिक्रिया होती है, लेकिन बार-बार या लंबे समय तक रहने पर यह समस्या बन जाती है।


टॉन्सिल्स बढ़ने के मुख्य कारण (Causes of Enlarged Tonsils)

  • बार-बार गले का संक्रमण

  • वायरस या बैक्टीरिया का इन्फेक्शन

  • कमजोर इम्यूनिटी

  • एलर्जी

  • प्रदूषण और धूल

  • ठंडे खाद्य पदार्थ

  • बच्चों में बार-बार सर्दी-जुकाम

  • अधूरी या गलत चिकित्सा


टॉन्सिल इन्फेक्शन क्या है?

जब टॉन्सिल्स में सूजन के साथ संक्रमण हो जाता है, तो इसे Tonsillitis कहा जाता है।

टॉन्सिलाइटिस के प्रकार

1. Acute Tonsillitis

  • गले में अचानक तेज दर्द

  • बुखार

  • निगलने में कठिनाई

  • कमजोरी

2. Chronic Tonsillitis

  • बार-बार गले में दर्द

  • मुंह से दुर्गंध

  • टॉन्सिल्स में गड्ढे

  • सफेद या पीले कण

  • लंबे समय तक सूजन


टॉन्सिल्स के बढ़ने और इन्फेक्शन के लक्षण (Symptoms)

वयस्कों में लक्षण

  • गले में दर्द

  • निगलने में तकलीफ

  • आवाज़ भारी होना

  • बुखार

  • सिर और कान में दर्द

बच्चों में विशेष लक्षण

  • मुँह खोलकर सोना

  • खर्राटे

  • बार-बार नींद टूटना

  • नाक बंद रहना

  • पढ़ाई में ध्यान न लगना

  • बार-बार बीमार पड़ना


बच्चों में टॉन्सिल्स की समस्या क्यों आम है?

बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता विकासशील अवस्था में होती है। स्कूल, खेल और अन्य बच्चों के संपर्क से संक्रमण जल्दी फैलता है।

कुछ अन्य कारण:

  • एडिनॉयड्स का बढ़ना

  • बार-बार वायरल संक्रमण

  • गलत खान-पान

  • दूध के दांतों का संक्रमण


टॉन्सिल्स की समस्या के खतरे (Complications)

अगर समय पर इलाज न हो तो टॉन्सिल्स की समस्या आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती है:

  • सांस लेने में रुकावट (Sleep Apnea)

  • कान का संक्रमण

  • साइनस की समस्या

  • बच्चों में वजन और विकास पर असर

  • बार-बार बुखार

  • थकान और चिड़चिड़ापन

  • पढ़ाई और एकाग्रता पर प्रभाव


क्या हर बार टॉन्सिल्स का ऑपरेशन ज़रूरी है?

यह एक आम लेकिन गलत धारणा है कि टॉन्सिल्स बढ़ते ही ऑपरेशन कराना चाहिए।

➡️ वास्तविकता यह है कि:

  • अधिकांश मामलों में सर्जरी आवश्यक नहीं होती

  • शुरुआती और मध्यम अवस्था में बिना ऑपरेशन सुधार संभव है

  • बच्चों में उम्र बढ़ने के साथ कई बार समस्या स्वतः कम हो जाती है


टॉन्सिल्स की समस्या से बचाव (Prevention Tips)

  • ठंडे पेय और आइसक्रीम से परहेज

  • गले को ठंड से बचाना

  • संतुलित और पोषक आहार

  • पर्याप्त नींद

  • मुंह की स्वच्छता

  • बच्चों में नाक से सांस लेने की आदत

  • बार-बार गले के संक्रमण को नज़रअंदाज़ न करें


टॉन्सिल्स बढ़ने का मानसिक प्रभाव

लगातार गले की समस्या बच्चों और वयस्कों दोनों में:

  • मानसिक तनाव

  • चिड़चिड़ापन

  • आत्मविश्वास में कमी

  • सामाजिक गतिविधियों से दूरी


होम्योपैथी द्वारा टॉन्सिल्स के बढ़ने और टॉन्सिल इन्फेक्शन का इलाज

होम्योपैथी टॉन्सिल्स की समस्या को केवल स्थानीय सूजन के रूप में नहीं देखती, बल्कि पूरे शरीर और इम्यून सिस्टम को ध्यान में रखकर उपचार करती है।

होम्योपैथी की विशेषताएँ

  • बार-बार होने वाले टॉन्सिल इन्फेक्शन की प्रवृत्ति पर काम

  • शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना

  • बच्चों के लिए सुरक्षित और कोमल पद्धति

  • लंबे समय में स्थायी सुधार की दिशा

  • कई मामलों में सर्जरी की आवश्यकता को टालने में सहायक

👉 उपचार हमेशा व्यक्ति-विशेष के अनुसार होता है, इसलिए विशेषज्ञ परामर्श आवश्यक है।


डा रविन्द्र सिंह मान डा

 वंदना पाटनी

शिखर होम्योपैथिक क्लीनिक

हल्द्वानी, उत्तराखंड

मोबाईल 9897271337




Dec 20, 2025

वार्ट्स या मस्से

 

वार्ट्स (मस्से): कारण, प्रकार, मनोवैज्ञानिक प्रभाव और होम्योपैथिक समाधान

त्वचा पर उभरी हुई छोटी-छोटी गांठें, जिन्हें आम बोलचाल में मस्से (Warts) कहा जाता है, केवल एक सौंदर्य समस्या नहीं हैं. ये व्यक्ति के आत्मविश्वास, सामाजिक व्यवहार और कई बार दैनिक गतिविधियों को भी प्रभावित कर सकते हैं. कुछ लोगों में मस्से बिना किसी परेशानी के होते हैं, जबकि कुछ के लिए ये दर्दनाक, जिद्दी और मानसिक तनाव का कारण बन जाते हैं.

आधुनिक जीवनशैली, कमजोर होती प्रतिरक्षा प्रणाली और बढ़ता तनाव—इन सबके कारण आज मस्सों की समस्या पहले से अधिक देखने को मिल रही है. मस्से को केवल “त्वचा की बीमारी” न मानकर, शरीर की अंदरूनी स्थिति के संकेत के रूप में समझने का प्रयास करते हैं.


मस्से क्या हैं? — वैज्ञानिक दृष्टिकोण

मस्से त्वचा या श्लेष्मा झिल्ली पर होने वाली साधारण (Benign) ग्रोथ हैं, जो मुख्य रूप से ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के संक्रमण से होती हैं। यह वायरस त्वचा की ऊपरी परत में प्रवेश कर वहाँ की कोशिकाओं को असामान्य रूप से बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि:

  • सभी HPV संक्रमण कैंसर नहीं बनाते

  • मस्से सामान्यतः जानलेवा नहीं होते

  • लेकिन ये संक्रामक और बार-बार होने वाले हो सकते हैं


मस्से कैसे फैलते हैं?

मस्सों का फैलाव अक्सर अनजाने में होता है:

  • त्वचा से त्वचा का सीधा संपर्क

  • संक्रमित सतहों को छूना

  • मस्सों को खुजलाना या काटना

  • शेविंग या नेल कटिंग के दौरान फैलाव

  • सार्वजनिक स्थानों में नंगे पैर चलना

एक ही व्यक्ति के शरीर के अलग-अलग हिस्सों में भी मस्से फैल सकते हैं, जिसे Auto-inoculation कहा जाता है।


मस्सों के प्रकार – विस्तार से

1. सामान्य मस्से (Common Warts)

  • उंगलियाँ, हाथ, घुटने

  • खुरदरे, फूलगोभी जैसे

  • बच्चों और किशोरों में आम

2. तलवे के मस्से (Plantar Warts)

  • पैरों के तलवों पर

  • शरीर के भार से अंदर की ओर दब जाते हैं

  • चलते समय चुभन और दर्द

3. सपाट मस्से (Flat Warts)

  • चेहरे, गर्दन, हाथ

  • छोटे, चिकने, त्वचा के रंग जैसे

  • शेविंग से तेजी से फैलते हैं

4. फिलीफॉर्म मस्से

  • धागे जैसे लम्बे

  • आंखों, नाक, होंठों के पास

  • सौंदर्य की दृष्टि से परेशान करने वाले

5. जननांग मस्से

  • यौन संपर्क से फैलते हैं

  • अलग से चिकित्सा निगरानी आवश्यक

  • सामाजिक और मानसिक दबाव अधिक


मस्सों का मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव

मस्सों का असर केवल त्वचा तक सीमित नहीं रहता.

  • चेहरे के मस्से → आत्मविश्वास में कमी

  • हाथों के मस्से → सामाजिक झिझक

  • बच्चों में → मज़ाक, हीनभावना

  • लंबे समय तक रहने वाले मस्से → चिड़चिड़ापन, चिंता

कई रोगी मस्सों को छिपाने की कोशिश में मानसिक रूप से थक जाते हैं.


क्या मस्से अपने आप ठीक हो सकते हैं?

कुछ मामलों में—विशेषकर बच्चों में—मस्से अपने आप ठीक भी हो सकते हैं, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस पर नियंत्रण पा लेती है.
लेकिन:

  • सभी मस्से स्वयं ठीक नहीं होते

  • कई मस्से वर्षों तक बने रहते हैं

  • कुछ बार-बार उभरते हैं

यहीं से इलाज की आवश्यकता पैदा होती है.


पारंपरिक इलाज: उपयोग और सीमाएँ

आधुनिक चिकित्सा में मस्सों को हटाने के लिए कई तकनीकें उपलब्ध हैं:

  • रासायनिक पदार्थों द्वारा

  • फ्रीजिंग (Cryotherapy)

  • लेज़र

  • सर्जिकल हटाना

सीमाएँ:

  • दर्द और जलन

  • दाग या निशान

  • दोबारा उभरने की संभावना

  • बच्चों और संवेदनशील जगहों पर जोखिम

इन तरीकों में अक्सर मस्से हटते हैं, मस्सों के बार बार होने की प्रवृत्ति नहीं.


होम्योपैथी का दृष्टिकोण: लक्षण नहीं, कारण पर काम

होम्योपैथी मस्सों को एक स्थानीय त्वचा समस्या के बजाय, पूरे शरीर के असंतुलन का संकेत मानती है.

मूल सिद्धांत:

  • शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की भूमिका

  • व्यक्ति की शारीरिक + मानसिक प्रवृत्ति

  • मस्सों का प्रकार, रंग, स्थान, दर्द

  • रोगी की जीवनशैली और तनाव


 मस्सों के इलाज में होम्योपैथी की भूमिका 

1. जड़ से सुधार का प्रयास

होम्योपैथी शरीर की उस प्रवृत्ति पर काम करती है, जिससे मस्से बार-बार बनते हैं.

2. इम्युनिटी को संतुलित करना

लक्ष्य होता है:

  • शरीर को वायरस से लड़ने में सक्षम बनाना

  • बाहरी हस्तक्षेप पर निर्भरता कम करना

3. पुनरावृत्ति को रोकना

केवल मौजूदा मस्सों पर नहीं,
बल्कि भविष्य में नए मस्सों की संभावना पर भी काम.

4. सुरक्षित और आसान तरीका

  • बिना काटे, जलाए या फ्रीज किए

  • बिना दाग-धब्बे

  • बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए अनुकूल

5. मानसिक राहत

जैसे-जैसे समस्या सुधरती है:

  • आत्मविश्वास बढ़ता है

  • चिंता कम होती है


किन मामलों में होम्योपैथी विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है?

  • लंबे समय से चले आ रहे मस्से

  • बार-बार लौटने वाले मस्से

  • बच्चों के मस्से

  • चेहरे, गर्दन, जननांग क्षेत्र

  • सर्जरी से डर या एलर्जी वाले रोगी


रोगी के लिए उपयोगी सावधानियाँ

  • मस्सों को काटना/नोचना नहीं

  • निजी सामान साझा न करें

  • त्वचा को साफ और सूखा रखें

  • तनाव कम करें

  • संतुलित आहार लें


निष्कर्ष

मस्से देखने में छोटे होते हैं, लेकिन उनके पीछे वायरल संक्रमण, कमजोर प्रतिरक्षा और मानसिक तनाव का गहरा संबंध होता है. केवल उन्हें हटाना अक्सर अस्थायी समाधान साबित होता है.

होम्योपैथी मस्सों के इलाज में एक समग्र, सुरक्षित और दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रदान करती है, जहाँ लक्ष्य केवल मस्से गिराना नहीं, बल्कि शरीर को इस समस्या से मुक्त करने की क्षमता देना होता है.


डा रविन्द्र सिंह मान 

डा वंदना पाटनी

शिखर होम्योपैथिक क्लीनिक

हल्द्वानी, उत्तराखंड

मोबाईल 9897271337

Dec 12, 2025

बंद नाक : DNS, Turbinate Hypertrophy या Nasal Polyp

 

DNS, Turbinate Hypertrophy और Nasal Polyp: कारण, लक्षण और होम्योपैथी द्वारा ईलाज

नाक हमारे श्वसन तंत्र का पहला द्वार है—यही हवा को फ़िल्टर करती है, नमी देती है और शरीर को संक्रमणों से बचाती है। लेकिन कई बार नाक के अंदर संरचनात्मक बदलाव या सूजन ऐसी समस्याएँ पैदा कर देते हैं जो लंबे समय तक व्यक्ति को परेशान करती रहती हैं। तीन ऐसी सामान्य समस्याएँ हैं—DNS (Deviated Nasal Septum), Turbinate Hypertrophy और Nasal Polyp

 ये तीनों स्थितियाँ दिखने में अलग-अलग हैं, लेकिन नाक में रुकावट, साँस लेने में कठिनाई, खर्राटे, सिरदर्द और बार-बार होने वाले संक्रमण जैसे समान लक्षण दे सकती हैं।

हम इन तीनों समस्याओं को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि होम्योपैथी किस तरह इनका गहराई से और सुरक्षित रूप से उपचार करती है।


1. DNS (Deviated Nasal Septum) क्या है?

नाक के बीच में एक पतली दीवार होती है जिसे सेप्टम कहा जाता है। सामान्यतः यह सीधी होती है, लेकिन जब यह किसी एक तरफ झुकी होती है तो उसे Deviated Nasal Septum (DNS) कहा जाता है।

DNS क्यों होता है?

  • जन्मजात कारण

  • बचपन या लड़कपन में चोट

  • नाक की हड्डियों के असमान विकास

  • बार-बार सर्दी-जुकाम या एलर्जी, जिससे सेप्टम पर दबाव बढ़ता है

DNS के मुख्य लक्षण

  • एक तरफ नाक बंद रहना

  • बार-बार जुकाम

  • साँस लेने में कठिनाई

  • खर्राटे

  • सिरदर्द या चेहरे में भारीपन

  • गंध कम महसूस होना

DNS में नाक का एक हिस्सा संकुचित हो जाता है, जिससे हवा का प्रवाह असंतुलित हो जाता है। इसी वजह से मुंह से साँस लेने की आदत, गले का सूखना या नींद की गुणवत्ता खराब होना भी संभव है।


2. Turbinate Hypertrophy क्या है?

नाक के अंदर तीन तरह की संरचनाएँ होती हैं—Inferior, Middle और Superior Turbinates। ये स्पंज जैसे टिश्यू होते हैं जो हवा को गर्म, नम और फ़िल्टर करते हैं।
कई कारणों से ये संरचनाएँ सूज कर बड़ी हो जाती हैं, जिसे Turbinate Hypertrophy कहा जाता है।

इसके प्रमुख कारण

  • एलर्जी

  • प्रदूषण या धूल-धुआँ

  • बार-बार वायरल संक्रमण

  • Deviated Nasal Septum (DNS) की प्रतिक्रिया

  • लंबे समय तक डीकंजेस्टेंट स्प्रे(बंद नाक खोलने की दवाओं) का उपयोग

मुख्य लक्षण

  • दोनों तरफ नाक में रुकावट

  • साँस लेने में कठिनाई, विशेषकर रात में

  • लगातार छींक आना

  • नाक में भारीपन 

  • सिरदर्द

  • नाक से पानी आना (allergic cases में)

Turbinate Hypertrophy को अनदेखा करने पर यह क्रॉनिक साइनसाइटिस में भी बदल सकती है।


3. Nasal Polyp क्या है?

Nasal Polyp नाक के अंदर होने वाली मुलायम, दर्दरहित, पानी से भरी छोटी बॉल जैसी सूजन है। ये आमतौर पर एलर्जी, पुरानी सूजन या साइनस संक्रमण के कारण विकसित होते हैं। यह एक तरह से नाक के अंदर “छोटी-छोटी गाँठें” होती हैं, पर ये कैंसर नहीं होतीं।

क्यों बनते हैं Nasal Polyp?

  • लगातार एलर्जी

  • पुराने साइनस संक्रमण

  • Asthma

  • Nasal mucosa की chronic inflammation

  • Immunological overreaction

लक्षण

  • सांस लेने में रुकावट

  • आवाज़ बदलना (नाक बंद जैसी nasal tone)

  • गंध महसूस करने में कमी

  • बार-बार जुकाम

  • सिरदर्द

  • दिन-भर भारीपन 

आम तौर पर Nasal Polyp दोनों तरफ बनते हैं, लेकिन कई बार एक तरफ भी दिखाई दे सकते हैं।


होम्योपैथी द्वारा DNS, Turbinate Hypertrophy और Nasal Polyp का बेहतरीन उपचार

आज के समय में होम्योपैथी ENT समस्याओं के लिए बेहद सुरक्षित और प्रभावशाली चिकित्सा प्रणाली बन चुकी है। इन तीनों स्थितियों में होम्योपैथी केवल लक्षणों को दबाती नहीं, बल्कि रोग की जड़ को ठीक करने पर काम करती है, जिससे:

  • सूजन कम होती है

  • बार-बार होने वाला इन्फेक्शन रुकता है

  • एलर्जी नियंत्रित होती है

  • नाक की संरचनाएँ सामान्य स्थिति में वापस आती हैं

  • रोग के बार बार होने की संभावना कम होती है

होम्योपैथी कैसे मदद करती है?

1. DNS में

होम्योपैथिक इलाज से

  • बार-बार होने वाली सूजन कम होती है

  • Turbinates सामान्य होते हैं

  • हवा के प्रवाह में सुधार आता है

  • जुकाम, सिरदर्द, साइनसाइटिस की समस्या कम होती है

कई मामलों में हल्का-मध्यम DNS बिना सर्जरी भी आराम दे सकता है, क्योंकि होम्योपैथी mucosal health को restore कर देती है।


2. Turbinate Hypertrophy में

होम्योपैथी

  • एलर्जी या irritation को शांत करती है

  • mucosa की सूजन को घटाती है

  • नाक के अंदर संतुलन को पुनः स्थापित करती है

  • लगातार नाक बंद रहने की समस्या मिटाती है

यह उन लोगों के लिए बेहद लाभकारी है जो decongestant sprays पर निर्भर हो गए हों।


3. Nasal Polyp में

होम्योपैथी की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह

  • Polyp की जड़ में मौजूद chronic inflammation को कम करती है

  • Polyp के आकार को घटाने में मदद करती है

  • नए Polyps बनने से रोकती है

  • नाक के अंदरूनी environment को स्वस्थ बनाती है

होम्योपैथी में Polyp सर्जरी का अच्छा विकल्प मानी जाती है, क्योंकि यह बार बार होने को भी रोकती है, जबकि सर्जरी के बाद Polyps दोबारा बनना आम बात है।


इलाज के दौरान किन बातों का ध्यान रखें?

  • नाक को साफ रखने के लिए नियमित सलाइन वॉश

  • धूल, धुआँ और ठंडी हवा से बचाव

  • पानी पर्याप्त मात्रा में पिएँ

  • मसालेदार और तीखा भोजन कम करें

  • नियमित नींद लें

  • एलर्जी के स्रोतों से दूरी बनाएँ


निष्कर्ष

DNS, Turbinate Hypertrophy और Nasal Polyp — ये तीनों ही नाक में रुकावट और साँस से जुड़ी परेशानियों के मुख्य कारण हैं। इनमें से हर समस्या के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इनका प्रभाव जीवन की गुणवत्ता पर गहरा पड़ता है।

होम्योपैथी इन ENT समस्याओं में
✔ प्राकृतिक
✔ सुरक्षित
✔ बिना साइड इफेक्ट
✔ और लंबे समय तक टिकाऊ परिणाम
देने वाला उपचार है।

यह उपचार शरीर की बीमारियों को ठीक करने की क्षमता को सक्रिय कर नाक की संरचना और म्यूकोसा को स्वस्थ बनाता है, जिससे मरीज को धीरे-धीरे पूर्ण राहत मिलती है।



डा रविन्द्र सिंह मान 

शिखर होम्योपैथिक क्लीनिक

हल्द्वानी, उत्तराखंड

मोबाईल 9897271337

Dec 6, 2025

Corns और Callosities

 

पैरों में Corns और Callosities: कारण, लक्षण और होम्योपैथी से स्थायी समाधान

डा रविंद्र सिंह मान 

डा वंदना पाटनी

शिखर होम्योपैथिक क्लीनिक 

मानव शरीर का पूरा भार हमारे पैरों पर होता है, और यही कारण है कि पैरों से जुड़ी छोटी-सी समस्या भी हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकती है। 

ऐसी ही दो आम समस्याएँ हैं—Corns और Callosities (कैलोस)। शुरुआत में यह सिर्फ हल्की असुविधा लगती है, लेकिन सही समय पर ध्यान न देने पर यह दर्द, चलने में कठिनाई और लगातार बढ़ती परेशानी का कारण बन सकते हैं।

इसे विस्तार से समझते हैं—

  • Corns और Callosities क्या होते हैं?

  • इनके कारण क्या हैं?

  • इनके लक्षण कैसे पहचानें?

  • इन्हें नज़रअंदाज़ करना क्यों खतरनाक हो सकता है?

  • और सबसे महत्वपूर्ण—होम्योपैथी किस तरह इनका जड़ से और स्थायी उपचार प्रदान करती है।


Corns और Callosities क्या हैं? अंतर समझें

बहुत से लोग इन दोनों शब्दों को एक जैसा मान लेते हैं, लेकिन चिकित्सा की दृष्टि से दोनों अलग स्थितियाँ हैं:

1. Corns (कर्न्स):

  • Corns छोटे, गोल, और केंद्र में कठोर नुकीली सतह वाले उभरे हुए हिस्से होते हैं।

  • ये आमतौर पर पैरों की उंगलियों के ऊपर, उंगलियों के बीच या तलवों पर बनते हैं।

  • Corns में दबाव लगते ही तेज दर्द होता है, क्योंकि इनका "core" (कठोर केंद्र) अंदर की ओर धँसता है।

2. Callosities (कैलोस या Calluses):

  • Callosities त्वचा का मोटा, फैला हुआ और कठोर क्षेत्र होता है।

  • ये आमतौर पर शरीर के उस हिस्से में होते हैं, जहां बार-बार घर्षण या दबाव पड़ता है—जैसे पैर के तलवे, एड़ी या हथेलियाँ।

  • ये साधारणतः उतने दर्दनाक नहीं होते जितने corns, लेकिन समय के साथ असुविधा और जलन बढ़ाने लगते हैं।


ये क्यों बनते हैं? प्रमुख कारण

1. गलत फुटवियर

  • बहुत टाइट जूते

  • बहुत ढीले जूते

  • कठोर तलवों वाले फुटवियर

  • ऊँची एड़ी (heels)

गलत जूते लगातार घर्षण पैदा करते हैं, जिससे त्वचा की सतह कठोर होने लगती है।

2. गलत चाल (Abnormal gait)

अगर व्यक्ति का चलने या खड़े होने का तरीका शरीर के वजन को पैरों में असमान रूप से डालता है, तो कुछ हिस्सों पर दबाव बढ़ जाता है।

3. पैरों की संरचना में गड़बड़ी

  • Flat feet

  • High arch

  • Hammer toes

  • Bunions

ये समस्याएँ पैरों पर घर्षण बढ़ाकर corns/callosities को जन्म देती हैं।

4. पेशेगत दबाव (Occupational pressure)

  • लंबे समय तक खड़े रहने वाला काम

  • खेलकूद (runners, dancers)

  • कठोर सतहों पर लगातार चलना

5. बिना मोजों के जूते पहनना

मोजे घर्षण को कम करते हैं; इनके बिना जूते पहनने से जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।


इनके लक्षण कैसे पहचानें?

Corns के मुख्य लक्षण

  • छोटे, गोल, सख़्त और उभरे हुए दाने जैसे

  • केंद्र में तेज नुकीली कठोरता

  • दबाने पर तेज चुभने वाला दर्द

  • उंगलियों के ऊपर या बीच में विशेष रूप से दर्द

Callosities के लक्षण

  • त्वचा मोटी, सूखी और कठोर दिखाई देना

  • चौड़ा, फैला हुआ कठोर क्षेत्र

  • जलन, discomfort

  • पैदल चलने में रगड़ महसूस होना

  • कभी-कभी हल्की दरारें भी पड़ सकती हैं

यदि लंबे समय तक इन्हें अनदेखा किया जाए, तो ये खून निकलना, सूजन, संक्रमण और चलने में गंभीर परेशानी का कारण बन सकते हैं।


क्या Corns और Callosities अपने आप ठीक हो जाते हैं?

अक्सर लोग सोचते हैं कि रगड़ घटने से ये अपने आप कम हो जाएंगे। लेकिन हकीकत यह है कि:

  • इनके बनने के कारण जब तक मौजूद हैं, ये बार-बार लौटते रहेंगे।

  • घरेलू नुस्खों से कभी-कभी अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन पूरा उपचार नहीं होता।

  • इन्हें ब्लेड या तेज चीज़ से काटना खतरनाक है—संक्रमण का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।

  • बाजार में मिलने वाले corn caps अक्सर ऊपरी सतह को हटाते हैं, लेकिन core बना रहता है और corn फिर उभर आता है।

इसलिए टिकाऊ समाधान तब ही संभव है जब इलाज शरीर की आंतरिक प्रवृत्ति को ठीक करे—और यही होम्योपैथी की खासियत है।


होम्योपैथी: Corns और Callosities का जड़ से इलाज

होम्योपैथी केवल ऊपरी लक्षणों को नहीं दबाती, बल्कि त्वचा की उस आंतरिक प्रवृत्ति को ठीक करती है, जो इन समस्याओं को बार-बार जन्म देती है।

होम्योपैथी की खासियतें:

1. दर्द रहित, सुरक्षित और प्राकृतिक उपचार

कोई काटना, जलाना, corn caps या harsh chemicals प्रयोग नहीं किए जाते।

2. जड़ कारणों को ठीक करना

जैसे:

  • घर्षण से संवेदनशील त्वचा प्रतिक्रिया

  • शरीर का असमान वजन वितरण

  • त्वचा की abnormal thickening tendency

  • पैरों की संरचनात्मक समस्याएँ (symptomatic management)

3. Recurrence (दोबारा होने) को रोकता है

होम्योपैथी corns के "core" बनने की प्रवृत्ति को कम करती है।
Callosities के अत्यधिक मोटेपन की आदत को धीरे-धीरे normalize करती है।

4. व्यक्तिगत उपचार (Individualized treatment)

हर मरीज अलग होता है—

  • किसी में कॉर्न्स तीखे दर्द वाले

  • किसी में चलने से जलन

  • किसी में callosities मोटी पर painless

  • किसी में पैरों की बनावट गड़बड़

होम्योपैथी इन सूक्ष्म अंतरों के आधार पर उपचार देती है।

5. पूरी तरह ठीक होने की संभावना

सही और निरंतर होम्योपैथिक उपचार से corns और callosities दोनों पूरी तरह हट सकते हैं और लंबे समय तक वापस नहीं आते।

इसलिए मरीजों को बार-बार corn caps, parlor scraping या surgical removal की आवश्यकता नहीं रहती।


शिखर होम्योपैथिक क्लीनिक  में उपचार

शिखर होम्योपैथिक क्लीनिक पिछले कई वर्षों से इन पैरों की समस्याओं का विशेषज्ञता के साथ उपचार कर रहा है। यहाँ खास ध्यान दिया जाता है कि मरीज का इलाज केवल एक दवा से नहीं, बल्कि समग्र रूप से किया जाए।

यहाँ उपचार की खासियतें:

1. विस्तृत केस-स्टडी

  • मरीज की चलने की शैली (gait)

  • फुटवियर की आदतें

  • काम का स्वरूप

  • त्वचा की प्रवृत्ति

  • परिवारिक इतिहास

इन सबका गहन विश्लेषण किया जाता है।

2. व्यक्तिगत रूप से चुना गया उपचार

कर्न्स या कैलोस किस प्रकार के हैं, कितने पुराने हैं, किससे बढ़ते हैं—इनके आधार पर विशिष्ट होम्योपैथिक उपचार दिया जाता है।

3. बिना दर्द व बिना कटाव का उपचार

यहाँ किसी भी तरह की काटने-छीलने की प्रक्रिया का उपयोग नहीं किया जाता।
सारा उपचार पूरी तरह सुरक्षित, प्राकृतिक और वैज्ञानिक होम्योपैथिक सिद्धांतों पर आधारित होता है।

4. सुधार की निगरानी

नियमित फॉलो-अप में त्वचा की मोटाई, दर्द, और उभार की स्थिति की निगरानी की जाती है ताकि उपचार सटीक परिणाम दे।

यह सब उपचार के साथ मिलकर परिणाम को और बेहतर बनाता है।


Corns और Callosities: क्या हो सकते हैं जोखिम अगर इन्हें अनदेखा किया जाए?

  • लगातार बढ़ता दर्द

  • फटने की संभावना

  • पैरों में सूजन

  • रुक-रुककर आना-जाना

  • infection का जोखिम

  • चलने-फिरने में बाधा

  • posture में खराबी, जिससे घुटने और कमर पर तनाव

शुगर या नसों की समस्या वाले मरीजों में यह और भी गंभीर रूप ले सकते हैं। इसलिए समय पर उपचार बेहद आवश्यक है।


डा रविन्द्र सिंह मान 

शिखर होम्योपैथिक क्लीनिक

हल्द्वानी, उत्तराखंड

मोबाईल 9897271337