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Aug 31, 2014

होम्योपैथी में दवा देने का क्या आधार है?







होम्योपैथी, चिकित्सा का एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें दवायें रोगों के लिये नहीं बल्कि उस रोगी को आधार बनाकर दी जाती हैं. यानि एक ही रोग में सभी रोगियों को एक ही दवा नहीं दी जा सकती बल्कि दवा हर रोगी के अलग-अलग गुण-दोषों के आधार पर तय होती है.

 इसे ऐसे समझें कि मौसम के बदलाव पर होने वाले जुखाम, बुखार और खाँसी के अलग- अलग रोगियों को अलग-अलग दवायें मिलेंगी, होम्योपैथी में सभी का बुखार उतारने के लिये ऐलोपैथी की तरह पैरासिटामोल नहीं है. प्रत्येक व्यक्ति एक ही रोग की स्थिति 
में भी अलग-अलग ढंग से लक्षण प्रकट करता है. यानि होम्योपैथी, 'रेडीमेड' नहीं बल्कि 'टेलर मेड' मेडिसिन है.

अन्य चिकित्सा विधियों में रोग का डायग्नोसिस ही चिकित्सा का आधार होता है, यानि एक बार रोग का पता लग जाये तो दी जाने वाली दवायें हर रोगी के लिये एक जैसी ही होती हैं. लेकिन होम्योपैथी में ऐसा नहीं है. 

दवा का चुनाव रोगी के लक्षणों पर आधारित होता है. तो क्या एक ही रोग में लक्षण भी भिन्न- भिन्न होते हैं? 

उदाहरण के लिये बुखार की बात करते हैं - बुखार के एक रोगी को ठंड लग कर बुखार आता है लेकिन फिर भी ढकना उसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन दूसरे रोगी को बुखार में ठंड लगने पर ढकने से आराम मिलता है, तीसरे रोगी को बुखार आने से पहले ठंड लगते समय बहुत प्यास लगती है. चौथा रोगी बुखार आने पर प्यास की शिकायत करता है और पाँचवां
पसीना आने पर पानी पीना चाहता है. इनमें से किसी रोगी को जरा सा हिलने पर ही ठंड और कंपकपी बढने लगती है जबकि दूसरे रोगी को ठंड लगने पर पैर हिलाने से आराम रहता है. ये सभी रोगी हो सकता है मलेरिया से पीङित हों लेकिन लक्षणों में इन मामूली अंतरों की वजह से अलग-अलग होम्योपैथिक दवाओं से ठीक होंगे. जबकि अन्य चिकित्सा विधियों में लक्षणों का ये मामूली अंतर कोई महत्व नहीं रखता. 

इसी प्रकार उदाहरण के लिए- माइग्रेन सिरदर्द के रोगियों में भी लक्षणों की विभिन्नता अलग- अलग दवाओं की ओर इशारा करती है. दर्द के भिन्न प्रकार जैसे- कटने जैसा दर्द, हथौङे से पीटने जैसा दर्द, कीलें चुभने जैसा दर्द आदि. 

इसी तरह सिर के अलग- अलग भाग में होने वाले दर्द अलग- अलग दवाओं के चुनाव की ओर इशारा करते हैं. सिरदर्द के एक रोगी को लेटने से आराम मिलता है लेकिन दूसरे का दर्द लेटने से बढ जाता है, एक 
रोगी को सोने से सिर दर्द ठीक हो जाता है जबकि दूसरे रोगी का दर्द हमेशा नींद में ही शुरु होता है. इस प्रकार लक्षणों की मामूली भिन्न्ता और लक्षणों के विभिन्न समूहों के आधार पर होम्योपैथिक दवाओं का चयन किया जाता है जो कि रोगी को ठीक करती हैं. 

यानी, होम्योपैथिक दवाओं का चयन व रोगी के ईलाज की योजना डायग्नोसिस पर निर्भर नहीं करती, बल्कि रोगी किस प्रकार के लक्षण प्रकट करता है उसी के आधार पर होम्योपैथिक दवायें दी जाती हैं. 

डॉ रविंद्र सिंह मान

© 2014 Dr R S Mann


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