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Aug 18, 2021

यूटरस फ़ायब्राइड (Fibroid Uterus) के लिए होम्योपैथिक विकल्प

यूटरस में गाँठ, रसौली या फ़ायब्राइड के अधिकतर मामले 35 वर्ष की आयु से अधिक उम्र में देखने को मिलते हैं. यह फ़ायब्राइड कैंसर नहीं होता. लेकिन फ़ायब्राइड की वजह से होने वाले लक्षण महिलाओं की रोज़मर्रा की ज़िंदगी के स्तर को बेहद ख़राब कर देते हैं.

फ़ायब्राइड के लक्षण

1. माहवारी का परिमाण बहुत अधिक होना

2. माहवारी का सामान्य से लंबे समय तक चलते रहना

3. माहवारी का अगली माहवारी तक लगातार चलते रहना

4. माहवारी के अलावा लगातार ल्यूकोरिया जैसा डिस्चार्ज होते रहना

5. एनीमिया यानी खून की कमी हो जाने से- कमज़ोरी, सिरदर्द, भूख न लगना, साँस फूलना, चिड़चिड़ापन, उदासी, बाल गिरना आदि

6. पेट के निचले हिस्से में दर्द, भारीपन आदि


होम्योपैथिक विकल्प:-

फ़ायब्राइड के ठीक होने की संभावना इसके साइज़ पर निर्भर करती है. 4-5 सेमी तक के फ़ायब्राइड के ठीक होने की संभावना अधिक होती है. लेकिन 10 सेमी से बड़े फ़ायब्राइड को दवाओं से ख़त्म कर देने की संभावना कम होती है.

फ़ायब्राइड की वजह से होने वाले सभी लक्षणों, ज्यादा रक्तस्राव, लगातार होने वाले रक्तस्राव को होम्योपैथिक दवाओं द्वारा बिल्कुल नियंत्रित किया जा सकता है. माहवारी को सामान्य की तरह बनाये रखने के लिए होम्योपैथी में अनेक प्रभावकारी दवाएं हैं.

मार्च 2020 से कोरोना महामारी के दौरान फ़ायब्राइड के अनेक मामले, जिन्हें सर्ज़री की सलाह दी गई थी, लेकिन कोरोना के दौरान सर्जरी करवा पाना संभव न होने की वजह से , इन मरीजों को 1 वर्ष से भी अधिक समय तक  फ़ायब्राइड के सभी लक्षणों व माहवारी को  होम्योपैथी दवाओं द्वारा नियमित रखा गया है.

नोट:-  फ़ायब्राइड की एक विशेषता यह है कि मेनोपॉज होने पर यह स्वयं ही सिकुड़ जाता है, व सर्ज़री की आवश्यकता ही नहीं रहती. 


डॉ वंदना पाटनी

डॉ रविंद्र सिंह मान

शिखर होम्योपैथिक क्लिनिक

कपिल काम्प्लेक्स, हल्द्वानी

9897271337


May 25, 2021

कोरोना में होम्योपैथी दवाएँ

 

कोरोना इंफेक्शन की दूसरी लहर शहरों, कस्बों के साथ-साथ दूर-सुदूर के गाँवों में भी पहुँची. ग्रामीण क्षेत्रों में RT-PCR जाँच की कोई सुविधा उपलब्ध न होने की वजह से लाखों रोगियों की गिनती ही नहीं हो पाई.


ग्रामीण क्षेत्रों के रोगियों को चिकित्सक, अस्पताल, आक्सीजन व दवाओं की सुविधा न के बराबर उपलब्ध थी. वे लोग अपने आस पास के कस्बों, छोटे-बड़े शहरों की ठोकरें खाने को मजबूर रहे. कितने लोगों की जान कोरोना की वजह से चली गई, इसका ठीक-ठीक अंदाज़ा लगा पाना सम्भव नहीं. 


लेकिन ग्रामीण व कस्बाई इलाकों में मौजूद सरकारी व निजी होम्योपैथिक चिकित्सकों ने कोरोना व कोरोना जैसे लक्षणों वाले रोगियों को बेहतरीन चिकित्सा उपलब्ध करवाई है. 


खाँसी, बुखार व साँस की तकलीफ़ के लक्षणों के साथ रोगियों ने होम्योपैथिक चिकित्सकों से दवाएं लीं, जिन्हें अपने सभी लक्षणों के साथ रोग से छुटकारा मिल गया. चूँकि, अनेक रोगियों की जाँच ही नहीं हुई इसलिए इनके कोरोना रोगी होने का दावा नहीं किया जा सकता. परन्तु अप्रैल-मई 2021 के इस समय में किसी भी क्षेत्र में खाँसी-बुखार के लक्षणों के साथ कोरोना की ही संभावना सर्वाधिक है.


अधिकतर होम्योपैथिक चिकित्सकों ने ब्रायोनिया, रस टॅक्स, बेलाडोना, आर्सेनिक, युपेटोरियम पर्फ, सेनेगा, फास्फोरस, एंटीम टार्ट जैसी दवाओं का इस्तेमाल इन रोगियों के लिये किया है.



May 17, 2021

कोरोना व होम्योपैथिक दवाएं

 पिछले दिनों में कोरोना संकट के बढ़ने के साथ ही कुछ होम्योपैथिक दवाएं सोशल मीडिया में लगातार वायरल हो रही हैं. 2020 में कोविड के पहले दौर में आर्सेनिक दवा ख़ूब प्रचलित हुई थी.

इस बार Aspidosperma Q, Senega, Antim Tart, Vanadium, Justicia Q व इसी तरह कुछ और दवाऒं के नाम मीडिया में घूम रहे हैं.
ये सभी दवाएँ निश्चित रूप से कारगर दवाएँ हैं. लेकिन कब, कौनसी दवा दी जानी है, होम्योपैथी में यह फैसला करने के लिए बेहद दक्षता की जरूरत होती है. 20 साल की प्रैक्टिस के बाद हम स्वयं भी सही दवा के चुनाव में गलतियाँ कर जाते हैं.
इसलिए मेरी राय में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ाने या अन्य किसी लक्षण के लिए इस या उस होम्योपैथी दवा का इस्तेमाल स्वयं न करें, किसी होम्योपैथिक चिकित्सक की मदद लें. ताकि रोगी को बेहतरीन परिणाम मिल सके.

डॉ वंदना पाटनी
डॉ रविंद्र सिंह मान