सफेद दाग (ल्युकोडर्मा): होम्योपैथी ही करेगी ठीक
सफेद दाग जिसे ल्युकोडर्मा भी कहते हैं, यह हमारी चमड़ी के रंग के हल्के पड़ जाने या सफेद रंग हो जाने को कहा जाता है. हमारी स्किन का रंग मस्तिष्क में बनने वाले एक हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है. इस बीमारी को होम्योपैथिक दवाएँ पूरी तरह ठीक करके स्किन के रंग को पुनः पहले जैसा सामान्य बनाने में सक्षम हैं.
सफेद दागों के बारे में विभिन्न भ्रांतियां हमारे देश में व्याप्त हैं. यह न तो कोढ़(Leprosy) है, न ही एक-दूसरे को फैलने वाला कोई छुआछूत का रोग है. यह आपको भी किसी से नहीं हुआ है. सफेद दाग हो जाने का मतलब जीवन खराब हो जाना नहीं है. शरीर पर बने बड़े से बड़े, पुराने से पुराने सफेद दाग भी ठीक हो जाते हैं.
हम वर्ष 2003 से सफेद दाग के मरीजों का सफल इलाज कर रहे हैं. इतने वर्षों में 700 से भी अधिक रोगियों को पूर्णतया ठीक कर चुके हैं. सफेद दागों के इलाज के लिए 6 माह से लेकर कुछ वर्षों तक लगातार दवाओं का इस्तेमाल करना होता है. इसमें खाने की दवाएँ ही मुख्य होती हैं, कुछ दवाएँ लगाने के लिए भी प्रयोग की जाती हैं.
होम्योपैथिक दवाओं के लंबे समय तक प्रयोग करने पर भी किसी प्रकार के साईड इफेक्ट या दुष्प्रभाव नहीं होते हैं. इन दवाओं को छोटे बच्चों व गर्भवती महिलाओं द्वारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
अपने सफेद दागों को लेकर हताश, निराश व परेशान न हों. हमारे अनुभव का लाभ उठाकर अपनी बीमारी से मुक्ति पाएं व अपना आत्मविश्वास पुनः प्राप्त करें.
ल्युकोडर्मा की एक महीने की दवाओं का खर्च मात्र 2500 रु होता है. हमारे चिकित्सा संस्थान से पूरे देश में दवाएँ भिजवाने का प्रबंध हैं. आप स्वयं मिलकर या फोन द्वारा या ईमेल के माध्यम से भी अपना ईलाज शुरू कर सकते हैं.
डॉ वंदना पाटनी
बी एच एम एस( जयपुर)
डॉ रविंद्र सिँह मान
बी एच एम एस(जयपुर)
शिखर होम्योपैथिक क्लिनिक
कपिल काम्प्लैक्स, मुखानी,
हल्द्वानी- 263139
नैनीताल
उत्तराखंड
मो- 9897271337
ईमेल- dr.r.mann@gmail.com
सफेद दाग जिसे ल्युकोडर्मा भी कहते हैं, यह हमारी चमड़ी के रंग के हल्के पड़ जाने या सफेद रंग हो जाने को कहा जाता है. हमारी स्किन का रंग मस्तिष्क में बनने वाले एक हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है. इस बीमारी को होम्योपैथिक दवाएँ पूरी तरह ठीक करके स्किन के रंग को पुनः पहले जैसा सामान्य बनाने में सक्षम हैं.
सफेद दागों के बारे में विभिन्न भ्रांतियां हमारे देश में व्याप्त हैं. यह न तो कोढ़(Leprosy) है, न ही एक-दूसरे को फैलने वाला कोई छुआछूत का रोग है. यह आपको भी किसी से नहीं हुआ है. सफेद दाग हो जाने का मतलब जीवन खराब हो जाना नहीं है. शरीर पर बने बड़े से बड़े, पुराने से पुराने सफेद दाग भी ठीक हो जाते हैं.
हम वर्ष 2003 से सफेद दाग के मरीजों का सफल इलाज कर रहे हैं. इतने वर्षों में 700 से भी अधिक रोगियों को पूर्णतया ठीक कर चुके हैं. सफेद दागों के इलाज के लिए 6 माह से लेकर कुछ वर्षों तक लगातार दवाओं का इस्तेमाल करना होता है. इसमें खाने की दवाएँ ही मुख्य होती हैं, कुछ दवाएँ लगाने के लिए भी प्रयोग की जाती हैं.
होम्योपैथिक दवाओं के लंबे समय तक प्रयोग करने पर भी किसी प्रकार के साईड इफेक्ट या दुष्प्रभाव नहीं होते हैं. इन दवाओं को छोटे बच्चों व गर्भवती महिलाओं द्वारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
अपने सफेद दागों को लेकर हताश, निराश व परेशान न हों. हमारे अनुभव का लाभ उठाकर अपनी बीमारी से मुक्ति पाएं व अपना आत्मविश्वास पुनः प्राप्त करें.
ल्युकोडर्मा की एक महीने की दवाओं का खर्च मात्र 2500 रु होता है. हमारे चिकित्सा संस्थान से पूरे देश में दवाएँ भिजवाने का प्रबंध हैं. आप स्वयं मिलकर या फोन द्वारा या ईमेल के माध्यम से भी अपना ईलाज शुरू कर सकते हैं.
डॉ वंदना पाटनी
बी एच एम एस( जयपुर)
डॉ रविंद्र सिँह मान
बी एच एम एस(जयपुर)
शिखर होम्योपैथिक क्लिनिक
कपिल काम्प्लैक्स, मुखानी,
हल्द्वानी- 263139
नैनीताल
उत्तराखंड
मो- 9897271337
ईमेल- dr.r.mann@gmail.com