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May 25, 2021

कोरोना में होम्योपैथी दवाएँ

 

कोरोना इंफेक्शन की दूसरी लहर शहरों, कस्बों के साथ-साथ दूर-सुदूर के गाँवों में भी पहुँची. ग्रामीण क्षेत्रों में RT-PCR जाँच की कोई सुविधा उपलब्ध न होने की वजह से लाखों रोगियों की गिनती ही नहीं हो पाई.


ग्रामीण क्षेत्रों के रोगियों को चिकित्सक, अस्पताल, आक्सीजन व दवाओं की सुविधा न के बराबर उपलब्ध थी. वे लोग अपने आस पास के कस्बों, छोटे-बड़े शहरों की ठोकरें खाने को मजबूर रहे. कितने लोगों की जान कोरोना की वजह से चली गई, इसका ठीक-ठीक अंदाज़ा लगा पाना सम्भव नहीं. 


लेकिन ग्रामीण व कस्बाई इलाकों में मौजूद सरकारी व निजी होम्योपैथिक चिकित्सकों ने कोरोना व कोरोना जैसे लक्षणों वाले रोगियों को बेहतरीन चिकित्सा उपलब्ध करवाई है. 


खाँसी, बुखार व साँस की तकलीफ़ के लक्षणों के साथ रोगियों ने होम्योपैथिक चिकित्सकों से दवाएं लीं, जिन्हें अपने सभी लक्षणों के साथ रोग से छुटकारा मिल गया. चूँकि, अनेक रोगियों की जाँच ही नहीं हुई इसलिए इनके कोरोना रोगी होने का दावा नहीं किया जा सकता. परन्तु अप्रैल-मई 2021 के इस समय में किसी भी क्षेत्र में खाँसी-बुखार के लक्षणों के साथ कोरोना की ही संभावना सर्वाधिक है.


अधिकतर होम्योपैथिक चिकित्सकों ने ब्रायोनिया, रस टॅक्स, बेलाडोना, आर्सेनिक, युपेटोरियम पर्फ, सेनेगा, फास्फोरस, एंटीम टार्ट जैसी दवाओं का इस्तेमाल इन रोगियों के लिये किया है.



May 17, 2021

कोरोना व होम्योपैथिक दवाएं

 पिछले दिनों में कोरोना संकट के बढ़ने के साथ ही कुछ होम्योपैथिक दवाएं सोशल मीडिया में लगातार वायरल हो रही हैं. 2020 में कोविड के पहले दौर में आर्सेनिक दवा ख़ूब प्रचलित हुई थी.

इस बार Aspidosperma Q, Senega, Antim Tart, Vanadium, Justicia Q व इसी तरह कुछ और दवाऒं के नाम मीडिया में घूम रहे हैं.
ये सभी दवाएँ निश्चित रूप से कारगर दवाएँ हैं. लेकिन कब, कौनसी दवा दी जानी है, होम्योपैथी में यह फैसला करने के लिए बेहद दक्षता की जरूरत होती है. 20 साल की प्रैक्टिस के बाद हम स्वयं भी सही दवा के चुनाव में गलतियाँ कर जाते हैं.
इसलिए मेरी राय में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ाने या अन्य किसी लक्षण के लिए इस या उस होम्योपैथी दवा का इस्तेमाल स्वयं न करें, किसी होम्योपैथिक चिकित्सक की मदद लें. ताकि रोगी को बेहतरीन परिणाम मिल सके.

डॉ वंदना पाटनी
डॉ रविंद्र सिंह मान