May 5, 2014

होम्योपैथीः बहुत से रोग एक ही दवा



© Dr Ravinder S Mann 2014



होम्योपैथी के बहुत से फायदों में से एक सबसे महत्वपूर्ण ये है कि आप बहुत से अलग- अलग रोगों के लिये कम से कम या फिर सिर्फ एक ही दवा से ठीक हो सकते हैं. ये दावा आश्चर्यजनक या भ्रमाने वाला लग सकता है लेकिन यह तथ्यों पर आधारित है. इस दावे को थोङा खुलकर और कुछ मरीजों के वास्तविक केसों से समझते हैं.







40  वर्ष का यह रोगी मस्सों (Warts) के लिये दवा लेने आया जिनसे वह 5 वर्षों से पीङित था. लेकिन साथ ही वह बुरी तरह से  अवसाद (Depression and Anxiety) व अनिद्रा (Insomnia)से भी पीङित है और पिछले  8 वर्षों से अवसाद व नींद के लिये दवायें (Antidepressant and Sedatives) ले रहा था लेकिन इसके बावजूद उसके विभिन्न लक्षण रोजमर्रा के  जीवन में बाधा बन रहे थे उन सब दवाओं के बावजूद वह जीवन को आनंददायक ढंग से और पूर्णतया स्वस्थ होकर नहीं जी पा रहा था. और जैसा कि होम्योपैथी मानती है मानसिक रोग धीरे- धीरे शारीरिक रोगों को भी जन्म देते हैं यानि रोगों की उत्पत्ति मानसिक आयाम से शारीरिक आयाम की तरफ होती है

(Pshyco-somatic origin of diseases). यह रोगी 8 वर्षों से अवसाद से पीङित था और फिर 5 वर्ष पहले मस्से बनने लगे. किसी भी प्रकार के ईलाज ने उसके रोग और लक्षणों को राहत नहीं पहुँचाई.


यह रोगी एक Antacid, एक  Antidepressant, एक  Sedative और एक Antihypertensive रोज ले रहा था. और इसके बावजूद बीमारियों का ठीक होना तो दूर फौरी तौर पर लक्षणों को राहत भी नहीं थी. लेकिन होम्योपैथी ईलाज में आने के बाद उसके सभी लक्षणों को आधार बनाकर सिर्फ एक ही दवा (Aurum Met) दी गयी और रोगी के मस्से, अवसाद, अनिद्रा सभी ठीक हो गये. जिनके लिये ना तो अलग- अलग दवायें लेनी पङीं और ना ही 8 वर्ष तक या 5 वर्ष तक लगातार ईलाज लेने की जरूरत पङी.    






35 वर्षीय महिला 10 वर्षों से सिरदर्द से पीङित है. सिरदर्द ज्यादातर सिर के एक तरफ होते हैं जिन्हें माइग्रेन के रुप में डायग्नोस किया जाता है. लेकिन साथ ही यही महिला हाईपोथायरोडिज्म यानि थायराईड ग्रंथि द्वारा हार्मोन्स के कम स्रावण से पीङित है. साथ ही यूरिक एसिड का स्तर भी रक्त में सामान्य से अधिक है. उदासी, अनिद्रा, चिङचिङापन, क्रोधी स्वभाव भी रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित कर रहा है. रोगिणी सिरदर्द के लिये दर्द निवारक गोलियाँ, थायराईड के लिये दवाई, यूरिक एसिड को कम करने के लिये दवाई ले रही है. अब अगर वह नींद, उदासी व क्रोध के लिये भी किसी चिकित्सक की राय ले तो इनके लिये भी अलग से दवायें लेनी होंगी.



लेकिन यही रोगी जब होम्योपैथी दवा लेना चाहता है तो इन सभी रोगों और लक्षणों के लिये सिर्फ एक ही होम्योपैथी दवा (Sepia) से ठीक हो जाता है.एक ही दवा सिरदर्द के साथ- साथ यूरिक एसिड के स्तर को भी ठीक करती है और थायराईड ग्रन्थी के काम में सुधार लाती है.



और यह होम्योपैथिक ईलाज भी हमेशा नहीं लेना पङता, बल्कि  कुछ सप्ताह या कुछ महीनों में ही इन वर्षों पुराने रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है.




अब सवाल ये है कि ऐसा कैसे सम्भव है कि आप इतने अलग- अलग रोगों से पीङित हों और जिनके लिये आप अलग- अलग चिकित्सकों से ईलाज ले रहे हों, उन विभिन्न रोगों को कुछ या एक ही दवा से ठीक किया जा सके?



होम्योपैथी सभी बीमारियों को सायको-सोमैटिक स्तर से उत्प्न्न हुआ मानती है. दूसरा, होम्योपैथी की अवधारणा यह है कि किसी भी रोगी के अलग- अलग तंत्रों (Systems) में होने वाले विभिन्न रोग अलग- अलग लक्षणों के बावजूद मूल रुप से आपस में सम्बन्धित हैं. और किसी भी रोगी के सभी रोगों को एक ही ईकाई के रूप में देखा जाना चाहिये. यानि होम्योपैथी का रोगों के बारे में बुनियादी नजरिया अन्य चिकित्सा प्रणालियों से अलग है. होम्योपैथी की चिकित्सा के बारे में मूल अवधारणा यह है कि किसी भी रोगी के विभिन्न रोगों का ईलाज करने के बजाय उस रोगी का ईलाज किया जाये जिसे विभिन्न रोग हैं.



दूसरी ओर, होम्योपैथिक दवाओं के लक्षणों को जानने के लिये जानवरों पर नहीं बल्कि स्वस्थ मनुष्यों पर ही उनके प्रयोग किये गये हैं. इसके पीछे मूल अवधारणा और तर्क यह है कि जब दवाओं का प्रयोग मनुष्यों पर होना है तो हमें दवाओं के मनुष्यों पर प्रभाव की ठीक- ठीक जानकारी होनी चाहिये. यह ध्यान रहे कि दवायें मनुष्यों व अन्य जानवरों पर अलग- अलग प्रभाव डालती हैं. किसी दवा के, किसी जानवर पर होने वाले प्रभावों को आधार बनाकर, मनुष्यों पर उस दवा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिये.



जब इन दवाओं का मनुष्यों पर शोध किया गया तो यह पाया गया कि प्रत्येक होम्योपैथिक दवा एक से ज्यादा तंत्रों को प्रभावित करती है और विभिन्न लक्षणों को पैदा करती है. इन सभी लक्षणों को एकत्रित किया गया और सूचीबद्ध किया गया.



अब किसी भी रोगी को वही होम्योपैथिक दवा दी जाती है जो उसके सभी लक्षणों से मेल खाती है. यानि एक रोगी जिसे सिरदर्द के साथ अनिद्रा, अवसाद के साथ भय, निराशा के साथ आत्महत्या करने के विचार आते हों उसे ठीक वही होम्योपैथिक दवा दी जायेगी जो स्वस्थ व्यक्तियों में शोध करते समय ठीक यही लक्षण प्रकट करती हो. इसलिये होम्योपैथिक ईलाज लेने में सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि यदि आप बहुत से अलग- अलग रोगों से पीङित हैं तो जरूरी नहीं कि आप अलग- अलग चिकित्सकों से ईलाज लें और बहुत सी दवायें खायें. आप होम्योपैथी चिकित्सा लें और आपका होम्योपैथ आपके सभी रोगों को ध्यान में रखकर एक ही प्रेसक्रिप्शन देगा और यही दवा आपके सभी रोगों का निदान भी करेगी.  

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